सत्य और अहिंसा के साथ अग्रेजो से देश को आजाद करेने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) बहुत बड़ा योगदान है. जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज था और देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तब कई क्रांतिकारियों ने आगे आकर देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई इन्हीं में से एक थे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) हमेशा सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चले और एक लाठी के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। गांधी जी ने कई आंदोलन चलाए और अंग्रेजों को ये बता दिया कि वे देश को आजादी से कम किसी चीज पर नहीं मानेंगे। गांधी जी ने देश को आजाद कराने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। उनकी देश भक्ति देख पूरा देश गांधी जी के साथ जुड़ता चला गया और फिर क्या था, आगे-आगे गांधी जी और पीछे-पीछे लोग। हर साल दो अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस मनाया जाता है, लेकिन आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? नहीं न! चलिए हम आपको बताते हैं।
विश्व अहिंसा दिवस? अहिंसा महान शक्ति का लक्षण है..! (World Nonviolence Day? Non-violence is a sign of great power..!)
अहिंसा एक व्यक्ति की प्रतिबद्धता है कि वह किसी व्यक्ति या वस्तु को हानि नहीं पहुंचाएगा। भारतीय परंपरा में यह एक व्यक्तिगत नियम है जिसका पालन एक पूर्ण जीवन जीने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए। ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ की अवधारणा के अस्तित्व में आने से बहुत पहले अहिंसा को प्राथमिक नैतिक मूल्य के रूप में मान्यता दी गई थी जिसे आत्मसात और प्रचारित किया जाना था। एक अर्थ में यह स्वीकार किया गया था कि जो व्यक्ति अहिंसा के नियम का पालन नहीं कर रहा है, वह कालांतर में प्रसन्न और सफल नहीं हो सकता।
सिर्फ एक सत्य, एक अहिंसा,
दो हैं जिनके हथियार,
उन हथियारों से ही तो,
कर दिया हिंदुस्तान आजाद,
ऐसी अमर आत्मा को मिलकर करो सलाम।
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विश्व अहिंसा दिवस मनाने की वजह (Reasons for celebrating World Nonviolence Day)
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था और वे अहिंसात्मक आंदोलन के साथ अग्रेजो को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिए थे. इसलिए इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है साथ ही वैश्विक तौर पर पूरा देश इस दिन गांधी जी के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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संयुक्त राष्ट्रसंघ में कब हुवा था “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” प्रस्ताव पारित? (When was the “International Day of Nonviolence” resolution passed in the United Nations?)
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 15 जून, 2007 को एक प्रस्ताव पारित कर दुनिया से यह आग्रह किया कि वह शांति और अहिंसा के विचार पर अमल करे और महात्मा गाँधी के जन्म दिवस को “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाए। अहिंसा की नीति के ज़रिए विश्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देने के महात्मा गाँधी के योगदान को सराहने के लिए ही इस दिन को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाने का फ़ैसला किया गया। इस सिलसिले में ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ में भारत द्वारा रखे गए प्रस्ताव का भरपूर समर्थन किया गया। महासभा के कुल 191 सदस्य देशों में से 140 से भी ज़्यादा देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। इनमें अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देशों के अलावा अफ़्रीका और अमरीका महाद्वीप के कई देश भी शामिल थे। मौजूदा विश्व व्यवस्था में अहिंसा की सार्थकता को मानते हुए बिना वोटिंग के ही सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया था। 15 जून, 2007 को महासभा द्वारा पारित संकल्प में कहा गया कि- “शिक्षा के माध्यम से जनता के बीच अहिंसा का व्यापक प्रसार किया जाएगा।
कैसे लिया आजादी की लड़ाई में हिस्सा? How did you take part in the freedom struggle?
महात्मा गांधी के जीवन की बात करें, तो उनका जन्म 2 अकटूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने लंदन से कानून की पढ़ाई की और बैरिस्टर बनकर ही भारत लौटे। जब वे भारत आए, तो उन्हें गुलाम भारत की स्थिति ने उन्हें काफी प्रभावित किया, जिसके बाद वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। उनके अहिंसात्मक आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान था की अग्रेजो को भारत छोड़ कर जाना पड़ा.
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महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Mahatma Gandhi)
महात्मा गांधी का जन्म भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर क्षेत्र में हुआ था. उनके पिता श्री करमचंद गांधी पोरबंदर के ‘दीवान’ थे और माता पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी. गांधीजी के जीवन में उनकी माता का बहुत अधिक प्रभाव रहा. उनका विवाह 13 वर्ष की उम्र में ही हो गया था और उस समय कस्तूरबा 14 वर्ष की थी. नवंबर, सन 1887 में उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी और जनवरी, सन 1888 में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था और यहाँ से डिग्री प्राप्त की. इसके बाद वे लंदन गये और वहाँ से बेरिस्टर बनकर लौटे.
महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा (Visit at South Africa)
सन 1894 में किसी क़ानूनी विवाद के संबंध में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गये थे और वहाँ होने वाले अन्याय के खिलाफ ‘अवज्ञा आंदोलन’ चलाया और इसके पूर्ण होने के बाद भारत लौटे.
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महात्मा गांधी का भारत आगमन और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना (Return to India and Participation in Freedom Struggle)
सन 1916 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे और फिर हमारे देश की आज़ादी के लिए अपने कदम उठाना शुरू किया. सन 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद गांधीजी ही कांग्रेस के मार्गदर्शक थे.
सन 1914 – 1919 के बीच जो प्रथम विश्व युध्द [1st World War] हुआ था, उसमें गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार को इस शर्त पर पूर्ण सहयोग दिया, कि इसके बाद वे भारत को आज़ाद कर देंगे. परन्तु जब अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया, तो फिर गांधीजी ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाये. इनमें से कुछ आंदोलन निम्नानुसार हैं -:
-1906 में महात्मा गाधी ने ट्रासवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ पहला सत्याग्रह चलाया।
-गांधी जी ने नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह चलाया, जिसमें वे अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च निकाला।
-इसके अलावा गांधी जी ने दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलन भी चलाएं।
हर साल ऐसे मनाई जाती है गांधी जयंती
2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में राष्ट्रीय अवकाश रहता है और ये सब बापू के सम्मान में हर साल किया जाता है। इस मौके पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई गणमान्य व्यक्ति नई दिल्ली स्थित राजघाट जाते हैं और वहां गांधी जी की समाधि पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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गाँधी जी से जुडी कुछ अहम् बाते क्या है? (What are some important things related to Gandhiji?)
1. 1899 में जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए थे तब वे एंग्लो बोएर युद्ध में स्वास्थ्यकर्मी के तौर पर लोगों की मदद की थी। यहीं पर उन्होंने युद्ध की विभीषिका देखी थी और अहिंसा के मार्ग पर चल पड़े थे।
2. गांधी जी के द्वारा सुरु किया गया सिविल राइट्स आंदोलन कुल 4 महाद्वीपों और 12 देशों तक फैला था।
3. विश्व के सबसे बड़े इनोवेटर स्टीव जॉब्स को तो आप सब जानते ही होंगे, वे गांधी जी से इतने प्रेरित थे की गाँधी जी को सम्मान देने के लिए वे गोल चश्मा पहना करते थे।
4. आपको पता नहीं होगा की गांधी जी जब 70 साल के थे तब उनका बजन महज 46 किलो था । उस समय उनकी लंबाई 5 फिट 5 इंच थी। उस समय वे रोज दस किलोमीटर पैदल चलते और 5 घण्टे सोते थे।
5. गाँधी जी अपने जीवन का 6 साल 5 महीने जेल में बिताए थे।
6. अपने आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी 13 बार गिरफ्तार हुए। इस दौरान उन्होंने 17 बड़े अनशन किए थे। वहीं गांधी जी लगातार 114 दिन भूखे रहे थे।
7. विश्व में महात्मा गांधी के कार्यों को इस बात से जाना जा सकता है कि जिस अग्रेजो से भारत को आजादी दिलाने के लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी, उसी ने उनके सम्मान में उनके निधन के 21 साल बाद उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया।
8. गांधी जी ने साउथ अफ्रीका के डर्बन, प्रिटोरिया और जोहांसबर्ग में कुल तीन फुटबॉल क्लब स्थापित करने में मदद की थी।
9. भारत गांधी जी के नाम पर कुल 53 बड़ी सड़कें हैं। जबकि विदेश में कुल 48 सड़कों के नाम उनके नाम पर हैं।
10. गांधी जी की शादी 13 साल की उम्र में उनसे एक साल बड़ी कस्तूरबा गांधी के साथ हुई थी। उस दौरान होने वाली शादी से संबंधित रस्मो को पूरा करने के चलते वे एक साल तक स्कूल नहीं जा पाए थे।
11. गांधी जी के बारे में यह बात भले ही आपको अचरज में डाले, लेकिन सच है कि शांति का नोबेल पुरस्कार गांधी जी को अब तक नहीं मिला है। हालांकि उन्हें कुल 5 बार अभी तक इसके लिए नॉमिनेट किया गया है।
12. दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दौरान गांधी जी ने जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
13. क्या आपको मालूम है कि गांधी जी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता शुक्रवार को ही मिली थी तथा गांधी जी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
कॉन थी कस्तूरबा गांधी ? Who was Kasturba Gandhi?
कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को पोरबंदर में हुआ था. उनके पिता गोकुलदास मकनजी एक व्यापारी थे. कस्तूरबा गांधी के पिता गोकुलदास और गांधीजी के पिता करमचंद गांधी दोस्त थे. दोनों परिवारों में रही पुरानी जान पहचान की वजह से ही गांधी और कस्तूरबा के बीच रिश्ते की बुनियाद बनीं और दोनों की शादी हुई.
1882 में महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की शादी हुई. दोनों शादीशुदा जोड़े की तरह रहने लगे. लेकिन कम उम्र होने की वजह से दोनों को ही शादी एक खेल की तरह लगती थी. वो एकसाथ खेलते हुए दोस्त बन गए थे और शादी की जिम्मेदारी को समझने में असमर्थ थे. एक बार बापू ने कहा था कि उस वक्त उनके लिए शादी का मतलब था- नए कपड़े, खाने के लिए मिठाइयां और रिश्तेदारों के साथ खिलंदड़पना.
जब महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी को घर से निकल जाने को कहा When Mahatma Gandhi asked Kasturba Gandhi to leave the house
एक बार महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी को हैरान कर देने वाला आदेश सुना दिया. कस्तूरबा गांधी को उन्होंने अपने यहां आए मेहमान का टॉयलेट साफ करने को मजबूर कर दिया. इस बात पर कस्तूरबा गांधी फट पड़ी. उन्होंने कहा- अब बहुत हो चुका. इसके बाद दोनों के बीच बुरी तरह से झगड़ा होने लगा.
दोनों के बीच का झगड़ा इतना बढ़ गया कि गांधीजी ने कस्तूरबा से घर से निकल जाने को कह दिया. बात इतनी बढ़ गई कि महात्मा गांधी कस्तूरबा गांधी की बांह पकड़कर घर से बाहर निकालने लगे. बाद में इस पूरे वाकये पर उन्हें काफी पश्चाताप हुआ. उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ‘ये ठीक उसी तरह से था, जैसे मुझे एक अंग्रेज अधिकारी ने ट्रेन से धक्का देकर बाहर निकाला था. कस्तूरबा की आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे. वो चिल्ला कर कह रही थी कि तुम्हें थोड़ी भी लाज शरम नहीं है? तुम अपनेआप को इतना भूल गए? मैं कहां जाऊंगी? तुम सोचते हो कि तुम्हारी बीवी रहते हुए मैं सिर्फ तुम्हारा ख्याल रखने और तुम्हारी ठोकरें खाने के लिए हूं. भगवान के लिए अपना व्यवहार ठीक करो और गेट को बंद कर दो. इस तरह का तमाशा मत खड़ा करो.’
इसके बाद बापू लिखते हैं कि वो अपने किए पर बहुत शर्मिंदा थे लेकिन उन्होंने चेहरे पर सख्ती लाते हुए दरवाजा बंद कर दिया. बापू ने लिखा है कि अगर मेरी बीवी मुझे नहीं छोड़ सकती तो मैं उसे कैसे छोड़ सकता हूं. हमारे बीच कई बार झगड़े हुए लेकिन आखिर में हमदोनों शांत रहे. बापू लिखते हैं कि कस्तूरबा मे असाधारण धैर्य और सहनशीलता थी, इसलिए वो हमेशा विजेता रही.
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